By Hem Bhatt
Nepal में मध्यावधि चुनाव अगले साल होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है। सत्तारूढ़ नेकपा के भीतर लगातार चल रही लड़ाई के बाद प्रधानमंत्री ओली ने यह निर्णय लिया। बीते दिन मंत्री परिषद की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ओली ने प्रतिनिधि सभा का विघटन करने का निर्णय लिया। अब नेपाल में मध्यावधि चुनाव होने जा रहे हैं। गौरतलब है कि ओली और पुष्प दहल ‘प्रचंड’ के बीच टकराव बढ़ गया था।
प्रतिनिधि सभा भंग, Nepal में होंगे मध्यावधि चुनाव
राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक नेपाल में अगले साल 30 अप्रैल को पहले चरण के मतदान होंगे और 10 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा। नेपाल में लोकतंत्र बहाल होने के बाद मध्यावधि चुनाव फैशन के रूप में देखा गया है। इस बार भी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान के बाद आखिरकार नेपाल फिर मध्यवर्ती चुनाव में चला गया है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (एमाले) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (माओवादी सेंटर) ने 2018 में मिलकर सरकार बनाया थी। उस वक्त सर्वसम्मति से नेकपा ने केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री चुना था।
नेपाल पर पड़ेगा आर्थिक बोझ !
इस चुनाव के लिए राज्य के खजाने से कम से कम 12 अरब रुपये खर्च की आवश्यकता है।प्रतिनिधि सभा और राज्य विधानसभा के पिछले चुनाव में 10 अरब खर्च किए गए थे। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, मुख्य आयुक्त दिनेश थपलिया और अन्य आयुक्तों, वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल और गृह मंत्री राम बहादुर थापा के बीच रविवार को हुई चर्चा के दौरान चुनाव खर्च का मुद्दा उठाया गया था। एक अधिकारी ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने कहा, “मुख्य आयुक्त थपलिया ने कहा कि दो दिन के बजाय एक ही दिन में चुनाव होने पर प्रबंधन और खर्च कम होगा।
साभार: WeTheDemocratic
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