News Front Live, New Delhi
कृषि-कानूनों पर सुप्रीम रोक लग गई है। Supreme Court ने तीनों कृषि कानूनों (Farming Acts) पर सुप्रीम रोक लगाते हुए एक चार सदस्यीय कमेटी गठित की है। जो कोर्ट को उनकी खामियों की रिपोर्ट देगी। किसान आंदोलन के मद्देनजर कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया। हालांकि तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़ा संयुक्त किसान मोर्चा कमेटी से बातचीत से इंकार कर चुका है। दिल्ली बॉर्डर समेत अन्य स्थानों पर दर्जनों किसानों की मौत हो चुकी है। चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि किसानों को सरकार की तरफ अपनी समस्याएं कमेटी के समक्ष रखनी चाहिए।
कृषि-कानूनों पर सुप्रीम रोक लगी
आखिरकार कृषि कानूनों पर सुप्रीम रोक लग ही गई। CJI एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के अमल करने पर स्टे लगा दिया। जिससे नरेंद्र मोदी सरकार को लगा बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय सरकार एवं किसानों के बीच बने गतिरोध के समाधान के लिए एक समिति गठित करेगा। जिसके लिए बतौर सदस्य हरसिमरत मान, प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवत के नाम सुझाए गए हैं।
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गौरतलब है कि तीनों कानून वापस लेने की मांग पर कायम संयुक्त किसान मोर्चा कमेटी से बातचीत से इंकार कर चुका है। इस कड़ी में खुले आसमान में आंदोलन कर रहे दर्जनों किसानों की मौतें हुईं। सरकार की कथित हठधर्मिता के चलते में कुछेक ने आत्महत्या भी की है।किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कानून वापसी तक आंदोलन कर रहे किसानों की घर वापसी नहीं होगी। वहीं, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जो सचमुच समस्या का समाधान चाहते हैं वो वकील के जरिये कमेटी के पास जा सकते हैं।
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ये है किसानों के गुस्से की वजह !
ग़ौरतलब है कि किसान केंद्र के 3 कृषि क़ानूनों के खिलाफ हैं। जिनमें कृषि उपज व्यापार एवं सरलीकरण , कृषक कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संसोधन) एक्ट शामिल हैं। इस कड़ी में किसान बीते 26 नवंबर से हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हैं। मोदी सरकार किसान आंदोलन से असहज साफ तौर पर नजर आ रही है।
दरअसल, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के खत्म होने होने की आशंका है। इसलिए किसान संगठन कॉरपोरेट की मनमानी रोकने को उसकी कानूनन गारंटी चाहते हैं। साथ ही उक्त तीनों क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इस कड़ी में सरकार और किसानों के बीच 7 राउंड के बेनतीजा वार्ता हो चुकी है।
NDA में भी उठे कानून के विरोध में सुर !
ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल ही कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ हों। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में भागीदार क्षेत्रीय दल भी खफा हैं। पहले पंजाब में अकाली दल ने कृषि कानून के विरोध में NDA से नाता तोड़ा। फिर राजस्थान में हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली RLP ने एनडीए से समर्थन वापस ले लिया। भाजपा सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह समेत किसान आंदोलन की हिमायत कर चुके हैं।
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