Uttarakhand Loksabha बीजेपी मोदी के सहारे,कांग्रेस मुद्दों के आसरे!

Uttarakhand Loksabha: लोकसभा चुनावों के पहले चरण में उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर मतदान है। बीजेपी ने मोदी युग में 2014 और 2019 के चुनावों में उत्तराखंड में क्लीन स्वीप किया था। बेशक उत्तराखंड में एक तबके पर पीएम मोदी का प्रभाव नजर आता है। लेकिन अंकिता भंडारी हत्याकांड, बेरोजगारी, अग्निवीर और सांसदों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की गूंज है। सवाल है कि क्या कांग्रेस इन स्थानीय मुद्दों से बीजेपी की जीत की हैट्रिक रोकने में कामयाब होगी?

By Rahul Singh Shekhawat

अगर 1977 में जे. पी. क्रांति और 1989 में वी.पी. सिंह की लहर छोड़ दें तो पहाड़ में कांग्रेस का एकछत्र राज रहा। लेकिन जब कभी देेेश की सियासत ने करवट बदली तो उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहते यह क्षेत्र अछूता नहीं रहा। उत्तराखंड बनने के बाद पहले कांग्रेस ने सोनिया गांधी-मनमोहन सिंह युग में 2009 के चुनावों में सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। फिर 2014 और फिर 2019 की ‘मोदी लहर’ शामिल है।

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अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी RSS के एजेंडे को धार दे रहे हैं। इस कड़ी में सैकड़ों मजारों से कथित अतिक्रमण को ध्वस्त किया। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना। जिसे बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया। जिससे साफ है कि सूबे के मतदाता राष्ट्रीय मुद्दों की बयार में बहते रहे हैं।

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Uttarakhand Loksabha:

उत्तराखंड में हरिद्वार, नैनीताल- ऊधमसिंहनगर, गढ़वाल, टिहरी और अल्मोड़ा (सुरक्षित) सीटें हैं। इस पांच लोकसभा सीटों के लिए 55 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि, बहुजन समाज पार्टी ने भी प्रत्याशी खड़े किए हैं। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के सजातीय प्रत्यशियों के बीच सीधा मुकाबला है। सूबे में कुल 83 लाख 37 हजार 914 मतदाता हैं। जिनमें 43 लाख 17 हजार 579 पुरुष और 40 लाख 20 हजार 038 महिला और 297 थर्ड जेंडर हैं। सर्विस वोटरों की संख्या 93 हजार 187 है।

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हरिद्वार लोकसभा सीट: रावत बनाम रावत!

इस लोकसभा क्षेत्र में हरिद्वार जिले की सभी 11 सीटों के अलावा देहरादून जिले की तीन विधानसभा सीटें भी शमिल हैं। बीजेपी ने लगातार दो बार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट काटकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा। वीरेंद्र रावत कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 2009 में हरिद्वार से चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री रहे थे। इस सीट पर BSP प्रत्याशी जमील अहमद के साथ ही चर्चित निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी हरिद्वार से ताल ठोक रहे हैं।

गढ़वाल लोकसभा सीट: स्थानीय बनाम बाहरी!

भाजपा ने बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी पर दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को चुनावी मैदान में उतारा। दोनों ही सजातीय ब्राह्मण हैं। अगर बलूनी की बात करें तो मोदी- शाह के करीबी हैं लेकिन सूबे की राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहे। उन्होंने सिर्फ एक बार 2002 में विधानसभा चुनाव लड़ा। जिसमें वह बड़े अंतर से हार गए थे। जबकि निशंक जैसे कद्दावर नेता को हराकर गणेश गोदियाल पहली बार विधायक बने और राज्य में सक्रिय रहे।

नैनीताल- उधमसिंहनगर सीट: भट्ट बनाम जोशी

इस लोकसभा क्षेत्र में नैनीताल जिले की पांच और मैदानी उधमसिंहनगर की सभी 9 सीटें शामिल हैं। भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को बरकरार रखा। जबकि कांग्रेस ने उनके सामने पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी को मैदान में उतारा है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार समेत अन्य निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है।

टिहरी लोकसभा सीट: महारानी बनाम प्रजा!

यह संसदीय क्षेत्र आजादी के बाद से टिहरी राज परिवार के वर्चस्व का गवाह रहा है। महारानी राज्य लक्ष्मी शाह लगातार चौथी बार भाजपा की उम्मीदवार हैं। जबकि कांग्रेस ने मसूरी के पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला को उतारा। इस बार महारानी को ‘बेरोजगार आंदोलन’ से चर्चा में आए बॉबी पंवार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनौती दे रहे हैं। Uttarakhand Loksabha

अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र: टम्टा बनाम टम्टा

भाजपा ने अल्मोड़ा (सुरक्षित) सीट में मौजूदा सांसद अजय टम्टा को रिपीट किया। एक बार फिर कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को ही मोर्चे पर उतारा है। ये दोनों चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी हैं। पहले दोनों ने एक दूसरे को विधानसभा और फिर लोकसभा चुनावों में हराया। जहां अजय टम्टा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राज्यमंत्री रहे। वहीं प्रदीप टम्टा राज्य में कांग्रेस सरकार में राज्य मंत्री रहे।

उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद हुए 2004 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने हरिद्वार लोकसभा सीट जीती।अगर इस अपवाद को छोड़ दें तो Uttarakhand Loksabha में भाजपा- कांग्रेस में ही मुकाबला रहा है। ये बात जरूर है कि बसपा उम्मीदवार हरिद्वार और नैनीताल- उधमसिंह नगर सीटों में समीकरण बदलने की जुगत करेंगे। बहरहाल यह देखना दिलचस्प रहेगा कि Pushkar Singh Dhami के नेतृत्व में पार्टी ‘जीत की हैट्रिक’ बनाने में सफल होगी या नहीं?

(लेखक वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार हैं)

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