News Front Live Team
भारत बंद गैर भाजपा शासित राज्यों में कमोबेश सफल रहा। जबकि BJP शासित प्रदेशों में कम असरदार रहा। देश के दीगर दो दर्जन दलों ने किसान संगठनों के बंद को समर्थन दिया। जबकि अन्ना हजारे ने उपवास रखकर आंदोलन की हिमायत की। मौटे तौर पर ‘भारत बंद’ शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ। एक तरफ अन्नदाताओं ने सड़कों पर चक्का जाम किया। दूसरी तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों की बैठक बुलाई। जिसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया। इस कड़ी में 9 दिसंबर की वार्ता स्थगित हो गई है। अब केंद्र सरकार कृषि क़ानूनों में संसोधन का लिखित प्रस्ताव देगी।
भारत बंद से किसानों ने ताकत का अहसास कराया !
कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आह्वान पर ‘भारत बंद’ आयोजित हुआ। शांतिपूर्ण सम्पन्न हुए बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला। गैर भाजपा शासित राज्यों में कमोबेश सफल रहा। जबकि BJP शासित प्रदेशों में कम असरदार रहा। किसानों ने दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर समेत देश के विभिन्न राजमार्गों पर चक्काजाम किया। स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने भारत बंद की सफलता का दावा किया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ना सिर्फ किसान बल्कि खेती से अप्रत्यक्ष जुड़े मजदूर भी बंद में शामिल हुए।
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अन्ना हजारे ने उपवास रखा
सामाजिक कार्यकर्ताअन्ना हजारे ने किसानों आंदोलन के उपवास रखा। उन्होंने महाराष्ट्र स्थित अपने पैतृक गांव में उपवास किया। अन्ना ने कहा कि किसानों की मांगे जायज हैं। उन्होंने एक वीडियो के जरिये अपने संदेश में किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया। हजारे के केंद्र सेे किसानों की मांग पर गौर करने को कहा।
ये है किसानों के गुस्से की वजह
ग़ौरतलब है कि किसान केंद्र के 3 कृषि क़ानूनों के खिलाफ हैं। जिनमें कृषि उपज व्यापार एवं सरलीकरण , कृषक कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संसोधन) एक्ट शामिल हैं। इस कड़ी में किसान बीते 26 नवंबर से हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हैं। मोदी सरकार किसान आंदोलन से असहज साफ तौर पर नजर आ रही है।
दरअसल, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के खत्म होने होने की आशंका है। इसलिए किसान संगठन कॉरपोरेट की मनमानी रोकने को उसकी कानूनन गारंटी चाहते हैं। साथ ही उक्त तीनों क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
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गृहमंत्री अमित शाह की किसानों के साथ बेनतीजा बैठक !
जहां एक ओर अन्नदाताओं ने सड़कों पर चक्का जाम किया। वहीं दूसरी तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों की बैठक बुलाई। इस अनौपचारिक वार्ता में 13 किसान नेताओं को शामिल किया गया। हालांकि इसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया। इस कड़ी में 9 दिसंबर की वार्ता स्थगित हो गई है। अब केंद्र सरकार कृषि क़ानूनों में संसोधन का लिखित प्रस्ताव देगी। जिन पर किसान संगठन गौर करेंगे।
आपको बता देें कि मोदी सरकार आंदोलन के दबाव में कृषि क़ानूनों में संसोधन को राजी हो गई। लेकिन उन्हें खत्म करने की किसानों की मांग मानने को तैयार नहीं है। अब तक दोनों के बीच 5 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
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