News Front Live, Dehradun
क्या सूबे की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य को मुख्यमंत्री (CM) त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भरोसा नहीं है? वजह ये कि उन्होंने अपने विभागीय महानिदेेेशक (DG) वी षणमुगम की जांच अधिकारी पर सवाल खड़े किए हैं। रेखा की दलील है कि एक IAS अपने दूसरे समकक्ष की जांच ईमानदारी से नही करेगा।
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मंत्री से अनबन के बाद DG षणमुगम ने मंत्री रेखा केे साथ काम करने से भी इंकार कर दिया है। इस विवाद के बीच अफसरों की CR लिखने की बहस छिड़ गई है। जिसमें भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत भी मंत्रियों से सुर मिलते नजर आ रहे हैं। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुटकी लेते हुए कहा कि मंत्रियों की यूनियन में सिर्फ CM की कमी रह गई है।
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बेशक उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार विधानसभा में प्रचंड बहुमत के दम पर मजबूत है। लेकिन रह-रह कर मंत्री-विधायक बनाम IAS जंग सामने आती रही है। मंत्री रेखा आर्य की अपने मातहत षणमुगम के अपहरण होने की आशंका जताते हुए देहरादून के SSP को तहरीर देने के बाद नए सिरे से रायता फैल गया। आरोप है कि संबंधित अफसर ना सिर्फ बिना सूचना दिए गायब बल्कि मंत्री के हुक्म की नाफरमानी करते रहे हैं।
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आपको बता दें कि यह विवाद आउटसोर्सिंग भर्ती की टेंडर प्रक्रिया से जुड़ा है। बकौल मंत्री रेखा DG ने पूर्व में भर्ती हुए 400 लोगों की सेवाएं खत्म कर दीं। जबकि उनके आदेश थे कि नई भर्ती होने से पहले किसी को ना हटाया जाए क्योंकि महिला एवं बाल विकास विभाग में केंद्र की अहम योजनाओं के संचालन पर असर पड़ता है। जब इसके बाबत षणमुगम से संपर्क किया गया तो उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किए।
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विवाद बढ़ने पर मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को जांच सौंपी गई। इस बीच वी षणमुगम ने मुख्यसचिव को खत लिखकर मंत्री के साथ काम करने से मना कर दिया है। गौरतलब है कि इसके पहले भी रेखा आर्य का IAS राधा रतूड़ी और सबिन बंसल से विवाद हो चुका है। उन्होंने भी मंत्री आर्य के साथ काम करने से इंकार कर दिया था।
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ताजा घटनाक्रम के बीच पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने IAS अफसरों की CR मंत्रियों के लिखने का तुर्रा छेड़ दिया। दो अन्य मंत्री डॉ हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल भी महाराज की राय से इत्तेफाक जताते हुए रेखा के अप्रत्यक्ष समर्थन में खड़े हो गए। दिलचस्प बात ये है कि BJP प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी इसकी वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर मंत्री सचिव की CR लिखेगा तो उन पर अंकुश रहेगा। आपको बता दें कि IAS की गैरमौजूदगी से मदन कौशिक को बैठक छोड़नी पड़ी।
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उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार में मचे बबाल पर चुटकी लेने में देर नहीं लगाई। उन्होंने (IAS) को एक बात के लिये जरूर बधाई दी जानी चाहिये कि उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह मंत्रिमंडल के मंत्रियों की एक यूनियन बना दी है, “मंत्री बचाओ-अधिकार पाओ यूनियन”। अब इस यूनियन की सदस्यता के लिये मा. मुख्यमंत्री जी का ही आवेदन आना बाकी रह गया है, बाकी सभी माननीय मंत्री लोग ब्यूरोक्रेसी पीड़ित यूनियन के सदस्य बन चुके हैं।
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